भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दग़िस्तानी लोरी - 1 / रसूल हम्ज़ातव / मदनलाल मधु
Kavita Kosh से
शक्ति बटोरेगे तुम बेटे और बड़े हो जाओगे
विकट भेड़िए के दाँतों से, माँस छीन तुम लाओगे ।
मेरे लाल ! बड़े तुम होगे, फुरती ऐसी आएगी
चीते के पंजों से वह तो, झपट परिन्दा लाएगी ।
मेरे लाल ! बड़े तुम होगे, तुमको सब फन आएँगे
बात बड़ों की तुम मानोगे, मीत बहुत बन जाएँगे ।
मेरे लाल ! बड़े तुम होगे, समझदार बन जाओगे
तंग पालना हो जाने पर, पँख लगा उड़ जाओगे ।
जनम दिया है मैंने तुमको, मेरे पूत रहोगे तुम
जो दामाद बनाए तुमको, उसको सास कहोगे तुम ।
मेरे बेटे ! तुम जवान हो, पत्नी प्यारी लाओगे
प्यारे देश, वतन की ख़ातिर, गीत मधुरतम गाओगे ।
—
रूसी भाषा से अनुवाद : मदनलाल मधु