1,234 bytes added,
11:34, 1 अप्रैल 2023 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=भवानीप्रसाद मिश्र
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
उदासी से रोज़ मिलो
और बातें करो उससे तो वह
ख़ुशी के मुक़ाबले ज़्यादा
मज़ा देने लगती है
और तुममें वह ख़ुशी के मुक़ाबले
ज़्यादा दिलचस्पी लेने लगती है
उसके घनिष्ठ हो जाने पर अपने से
देखोगे तुम कि
हो गए हो तुम ग़ुम
और तुम्हारे आसपास और भीतर
छा गई है एक शान्ति
ख़ुशी की भ्रान्ति और हलचल और दौड़धूप
या तो समाप्त हो गई है,
बन्द हो गई है
या वह तुम्हारे आसपास से भीतर
और भीतर से आसपास आ-जा कर
एक परिपूर्ण छन्द हो गई है ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader