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14:47, 27 अप्रैल 2023 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=रुचि बहुगुणा उनियाल
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
ऊपर की पंक्ति से
नीचे वाली पंक्तियों की असहमति ने
कविता को जिद्दी बना दिया
कविता का अर्थ कटघरे में खड़ा
और उसका निरपराध शिल्प घोषित दोषी सा
हतप्रभ रह गया
मात्राएँ शब्दों से उलझी हुई
अर्थ को दोषमुक्त करने के प्रयास में जुटी सी
एक कुशल न्यायाधीश की तरह
तुम पढ़ पाओ भावार्थ
तो शायद…
कविता के बिम्ब पूर्णता प्राप्त करें।</poem>