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बिम्ब की पूर्णता / रुचि बहुगुणा उनियाल
Kavita Kosh से
ऊपर की पंक्ति से
नीचे वाली पंक्तियों की असहमति ने
कविता को जिद्दी बना दिया
कविता का अर्थ कटघरे में खड़ा
और उसका निरपराध शिल्प घोषित दोषी सा
हतप्रभ रह गया
मात्राएँ शब्दों से उलझी हुई
अर्थ को दोषमुक्त करने के प्रयास में जुटी सी
एक कुशल न्यायाधीश की तरह
तुम पढ़ पाओ भावार्थ
तो शायद…
कविता के बिम्ब पूर्णता प्राप्त करें।