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18:29, 20 मई 2023 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=बैर्तोल्त ब्रेष्त
|अनुवादक=मोहन थपलियाल
|संग्रह=इकहत्तर कविताएँ और तीस छोटी कहानियाँ / बैर्तोल्त ब्रेष्त / मोहन थपलियाल
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
मैं खूब जानता था
कि शहर
बनाए जा रहे हैं
मैं नहीं गया
उन्हें देखने
इसका सांख्यिकी वालों से ताल्लुक है
मैंने सोचा
न कि इतिहास से
क्या होगा
शहरों के बनाने से,
यदि उन्हें बगैर
लोगों की बुद्धिमानी के बनाया?
(1953)
'''मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : मोहन थपलियाल'''
</poem>
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