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18:47, 20 मई 2023 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=बैर्तोल्त ब्रेष्त
|अनुवादक=मोहन थपलियाल
|संग्रह=इकहत्तर कविताएँ और तीस छोटी कहानियाँ / बैर्तोल्त ब्रेष्त / मोहन थपलियाल
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
अध्यापक,
अक्सर मत कहो
कि तुम सही हो
छात्रों को
उसे महसूस कर लेने दो
ख़ुद-ब-ख़ुद
सच को
थोपो मत :
यह ठीक नहीं है
सच के हक़ में
बोलते हो जो
उसे सुनो भी ।
(1953-56)
'''मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : मोहन थपलियाल'''
</poem>
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