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तुम्हारी तरह / रॉक डाल्टन / अनिल जनविजय
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15:43, 22 जून 2023
और कविता है हर एक के लिए रोटी की तरह
और
मेरी नसें मुझमें ही ख़त्म नहीं हो जातींहमारा ख़ून एक सा
है
बहता है
उन सबमें जो जीवन के लिए लड़ते हैं,
लड़ते हैं प्यार,
अनिल जनविजय
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