गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
नम मिट्टी पत्थर हो जाये ऐसा कभी न हो / डी. एम. मिश्र
199 bytes added
,
13:46, 12 सितम्बर 2023
गाँव में जब तक सरपत है बेघर नहीं है कोई
सरपत सँगमरमर
हो जाये ऐसा कभी न हो।
सागर जितनी पीड़ा मन में, धैर्य भी उतना ही
मेरा दर्द मुखर
हो जाये ऐसा कभी न हो।
</poem>
Dkspoet
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits