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एक और कृत्य / मोना गुलाटी
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10:46, 22 अक्टूबर 2023
दीवारें।
मैं कूद गई हूँ निर्वात के विशाल डैनों को काटकर ।
लक्ष्यहीन दौड़ में आगे निकल जाने के लिए
नोंच
नोंच
लिए हैं रोम और तपते रक्त के साथ
जिह्वा का स्वाद पीने लगी हूँ !
</poem>
अनिल जनविजय
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