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27 जनवरी {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=स्वप्निल श्रीवास्तव
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<poem>
हमें हवाईजहाज़ की यात्राओं में
कत्तई कोई दिलचस्पी नही है
अतः उसके रोचक आख्यान सुनाकर
मुझे चमत्कृत करने को कोशिश न करो
तुम जितना ऊँचा उड़ना चाहते हो, उड़ो
लेकिन हमें ज़मीन पर रहने दो
हम पगडण्डियों के लोग हैं
जब कभी - कभार किसी ज़रूरी काम से
शहर जाना पड़ता है तो सड़कें हमसे
हहाकर मिलती हैं
इन सड़कों को हमने बनाया है
हमारे क़दमों के निशान यहाँ दर्ज हैं
मुझसे मत करो दिलफ़रेब शहरों की बातें
हम जानते है कि वहाँ किस तरह के लोग
रहते हैं
वे हमें मैले - कुचैले कपड़ों में देखकर
हिकारत से मुँह फेर लेते हैं
जैसे हम उनके लिए कोई अजूबे हो
उन्हें पता नही ये शहर हमारे बनाए हुए हैं
जिनमें वे रहते हैं ।
</poem>
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