{{KKCatGhazal}}
<poem>
न कर इश्क इश्क़ इनसे दगा देंगे तारे।
अगर पास आए जला देंगे तारे।
अँधेरे में ही टिमटिमाते हैं ये सब,
उजाले में खुद ख़ुद को छिपा देंगे तारे।
बड़ी दूर हैं इनसे आशा न कर कुछ,
हैं खुद ख़ुद दिलजले तुझको क्या देंगे तारे।
हैं कबसे हैं कितने न जाने ये कोई,