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हालात के लिहाज से ऊँचाइयाँ मिलीं / विकास
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15:51, 20 नवम्बर 2008
<Poem>
हालात के लिहाज से
ऊँचाईयाँ
ऊँचाइयाँ
मिलीं
लेकिन खुली किताब तो रुसवाइयाँ मिलीं
गंगाराम
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