1,211 bytes added,
05:08, 30 जून 2024 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विवेक निराला
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
मेरे पिता के पिता के पिता के पास
कोई सम्पत्ति नहीं थी ।
मेरे पिता के पिता को अपने पिता का
वारिस अपने को सिद्ध करने के लिए भी
मुक़द्दमा लड़ना पड़ा था ।
मेरे पिता के पिता के पास
एक हारमोनियम था
जिसके स्वर उसकी निजी सम्पत्ति थे।
मेरे पिता के पास उनकी निजी नौकरी थी
उस नौकरी के निजी सुख-दुख थे ।
मेरी भी निजता अनन्त
अपने निर्णयों के साथ ।
इस पूरी निजी परम्परा में मैंने
सामाजिकता का एक लम्बा पासवर्ड डाल रखा है ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader