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हमारे पिता, जो बसे हैं हमारी धरती में,
जो पानी में हैं और हवा में भी हैं
हमारी पृथ्वी के विशाल और मौन विस्तार में समाए हुए हैं जो।
पिता !
हमारे देश में सब कुछ तुम्हारे ही नाम पर है ।
तुम्हारी विरासत ही
आज हमारी रोज़ी- रोटी है, पिता !
* * *००
बोलिवर से मेरी मुलाक़ात एक सुबह कुछ देर से हुई थी,
मैड्रिड में, पाँचवीं रेजिमेंट के प्रवेश द्वार पर ।
thy heritage was rivers, plains, bell towers,
thy heritage is this day our daily bread, father
* * *०००
I met Bolivar one long morning,
in Madrid, at the entrance to the Fifth Regiment.
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