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16 जुलाई {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निकानोर पार्रा
|अनुवादक=राजेश चन्द्र
|संग्रह=
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{{KKCatKavita}}
<poem>
युवजन !
लिखो –
जैसाकि तुम लिखना चाहते हो
उसी शैली में लिखो जो बेहतर लगती हो
रक्त बह चुका है बहुत सारा पुल के नीचे से
कोशिश करो यक़ीन करने की –
जैसे मैं यक़ीन करता हूँ
कि रास्ता केवल एक ही है
कविता में
सब कुछ कहा जा सकता है ।
बेशक
इसी शर्त के साथ
तुम सार्थक कर सकते हो
ख़ाली पन्ने को ।
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र'''
</poem>
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