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|रचनाकार=निकानोर पार्रा
|अनुवादक=राजेश चन्द्र
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<poem>
हमारे पिता, जो स्वर्ग में हैं
उनके पास कितनी ही समस्याएं हैं ।
उनकी व्यग्रता बताती है कि
वे महज एक साधारण आदमी हैं।
हमारे बारे में इतनी चिन्ता मत करो ।

हम जानते हैं कि आप दुखी हैं
क्योंकि आप नहीं रख पाते व्यवस्थित अपने घर को ।

हम जानते हैं कि शैतान आपको जीने नहीं देता चैन से
वह नष्ट कर डालता है जो कुछ भी निर्मित करते हैं आप ।

वह उपहास उड़ाता है
लेकिन हम रोते हैं आपके साथ-साथ ।

हमारे पिता, आप जहाँ हैं वहाँ
घिरे हैं आप कपटी फ़रिश्तों से ।
कृपया हमारे लिए और दुखी मत हों ।
आपको समझना चाहिए कि
ईश्वर से भी हो सकती है चूक ।
और हम तो माफ़ कर देते हैं किसी को भी ।

'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र'''
</poem>
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