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18:12, 27 जुलाई 2024 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजेश अरोड़ा
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
मैंने माँगे थे कभी तुमसे
दस मिनट उधार
तुमने दिये भी थे
याद है अब भी मुझे
बहुत पहले तुम्हारे दिये
वह दस मिनट
तब से आज तक
गुजर गया है
बहुत सारा समय
कई रातें, दिन महीने और वर्ष
आज अचानक तुम फिर मिल गई
अनायास ही कर बैठी
तकादा
उन दस मिनटों का
जो दिये थे तुमने
वर्षो पहले।
अवाक खड़ा मैं
सोच रहा हूँ
कैसे होऊँ गा मैं
कर्ज मुक्त
तुम्हारे दिये
उन दस मिनटों से।
</poem>