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हमारी दोस्ती बहुत गहरी थी/ विनय प्रजापति 'नज़र'
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01:42, 29 दिसम्बर 2008
<poem>
'''लेखन वर्ष: २००३
हमारी दोस्ती बहुत गहरी थी
जिसको लोहा कहा गया था
मगर जब उतरे बर्ग़े-बहार
दोस्ताना मोर्चा खा गया था
विनय प्रजापति
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