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जग में आकर इधर उधर देखा / ख़्वाजा मीर दर्द
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18:59, 29 दिसम्बर 2008
जान से हो गए बदन ख़ाली,<br>
जिस तरफ़ तूने आँख भर
के
देखा|<br><br>
नाला फ़िरयाद आह और ज़ारी,<br>
विनय प्रजापति
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