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|रचनाकार=मोमिन
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}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>

अजल जाँ-ब-लब उसके शेवन1 से है
यह नादिम2 मेरे ज़ूद-कुश्तन3 से है

वह बदख़्वाह मुझसा तो मेरा नहीं
अबस दोस्ती तुमको दुश्मन से है

मेरे दाग़ याद आये गुल देखकर
कि बेज़ार वह सैरे-गुलशन से है

जलाने से भी तेरा शाकिर4 हूँ मैं
गिला नाला-ए-अतिश-अफ़गन5 से है

शबे-ग़म मुए-शमअ को देखकर
हमें ख़िजलत6 उस शोख़ बदज़न7 से है

मेरा ख़ून क्या बाद गर्दन हुआ
कि बेताब वह दर्दे-गर्दन से है

जहाँ ख़ाक उड़ायी वहीं दबे रहे
कदूरत अबस फ़िक्रे-मदफ़न8 से है

नयी कुछ नहीं अपनी जाँ-बाज़ियाँ
यही खेल हमको लड़कपन से है

'''शब्दार्थ:
1. सुलूक, 2. शर्मिन्दा, 3. शीघ्र मरण, 4. शुक्रगुज़ार, 5. अग्नि वर्षा कर देने वाला क्रंदन, 6. शर्मसारी, 7. संदेह करने वाली प्रेयसी, 8. समाधि की चिंता

</poem>