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तू कहाँ जाएगी कुछ अपना ठिकाना कर ले / मोमिन
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तू कहाँ जाएगी कुछ अपना ठिकाना कर ले
हम तो कल ख्वाब-ए-अदम1 में शब-ए-हिजराँ2 होंगे
विनय प्रजापति
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