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सोचो... वो क्षण / सरोज परमार
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12:53, 29 जनवरी 2009
जब हादसों से जूझते
जाग उठा था तुम्हारे अंदर का भीम.
पटक
-
पटक कर पछाड़ रहा था
नागवार हालात को
तब तुम्हारे माथे पर कैसे उग
द्विजेन्द्र द्विज
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