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{{KKRachna
|रचनाकार=सौदा
}}
[[category: ग़ज़ल]]

<poem>
नावक तिरे न1 सैद2 न छोड़ा ज़माने में
तड़पे है मुर्ग़3 क़िब्लानुमा आशियाने में

ऐ मुर्ग़े-दिल4 समझ के तू चश्मे-तमा5 को खोल
वरना सुना है दाम6 जिसे है वो दाने में

चिल्ले7 मैं खींच-खींच किया क़द को जूँ-कमाँ8
तीरे-मुराद पर न बिठाया निशाने में

हम-सा तुझे है एक, हमें तुझ से हैं कई
ज, देख ले तू आपको9 आईनाख़ाने में

'सौदा' ख़ुदा के वास्ते कर क़िस्सा मुख़्तसर10
अपनी तो नींद उड़ गयी तेरे फ़साने में

'''शब्दार्थ:
1. तेरे तीर ने 2. शिकार 3. पक्षी 4. दिल रूपी पक्षी 5. भोजन खोजने वाली आँख 6. जाल 7. चिल्ला खींचना( धार्मिक प्रचार) 8. कमान की तरह 9. स्वयं को 10. संक्षिप्त
</poem>