नावक तिरे ने सैद न छोड़ा ज़माने में / सौदा
नावक ने तेरे1 सैद2 न छोड़ा ज़माने में
तड़पे है मुर्गे-क़िब्लानुमा3 आशियाने में
क्योंकर न चाक-चाक गरेबान दिल करूँ
देखूँ जो तेरी जुल्फ़ को मैं दस्ते-शाने में
ज़ीनत दलीले-मुफ़लिसी है, टुक कमाँ को देख
नक्शो-निगार छुट नहीं, कुछ उसके खाने में
ऐ मुर्ग़े-दिल4 समझ के तू चश्मे-तमा5 को खोल
वरना सुना है दाम6 जिसे, है वो दाने में
चिल्ले7 मैं खींच-खींच किया क़द को जूँ-कमाँ8
तीरे-मुराद पर न बिठाया निशाने में
पाया हर एक बात में अपने में यूँ तुझे
मानी को जिस तरह सुख़ने-आशिकाने में
दस्ते गिरहकुशा को न तजईं करे फलक
मेंहदी बंधी न देखी मैं अंगुश्ते शाने में
हम-सा तुझे है एक, हमें तुझ से हैं कई
ज, देख ले तू आपको9 आईनाख़ाने में
'सौदा' ख़ुदा के वास्ते कर क़िस्सा मुख़्तसर10
अपनी तो नींद उड़ गयी तेरे फ़साने में
शब्दार्थ:
1. तेरे तीर ने 2. शिकार 3. कम्पास की सूई 4. दिल रूपी पक्षी 5. भोजन खोजने वाली आँख 6. जाल 7. चिल्ला खींचना( धार्मिक प्रचार) 8. कमान की तरह 9. स्वयं को 10. संक्षिप्त