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मेरा सुनना / केशव

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मैं सुन रहा था
बारिश को
या तुम्हें
पता नहीं
इतना जरूर मालूम है
मैं सुन रहा था
दोनों को

बारिश थम गई
लेकिन नहीं थमा सुनना
क्योंकि सुनने से ही
नहीं सुना जाता सब कुछ
उसके लिए करना होता है
बहुत कुछ अनसुना
और फिर
सुनने के लिए
ज़रूरी होता है
कहीं थमना भी

क्या उस रात
तुमने भी सुना था
कहीं थमकर
मेरा सुनना।
</poem>
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