Changes

{{KKGlobal}}
{{KKRachna
।रचनाकार|रचनाकार=जानकीवल्लभ शास्त्री
}}
<poem>
 
रुक गयी नाव जिस ठौर स्वयं, माझी, उसको मझधार न कह !
ढूँढे, आलोक-लोक अपना,
तव सिन्धु पार जाने वाले को, निष्ठुर, तू बेकार न कह !
 
</poem>