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माझी उसको मझधार न कह / जानकीवल्लभ शास्त्री
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11:50, 8 फ़रवरी 2009
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|रचनाकार
=जानकीवल्लभ शास्त्री
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रुक गयी नाव जिस ठौर स्वयं, माझी, उसको मझधार न कह !
ढूँढे, आलोक-लोक अपना,
तव सिन्धु पार जाने वाले को, निष्ठुर, तू बेकार न कह !
</poem>
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