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14:29, 8 फ़रवरी 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रफुल्ल कुमार परवेज़
|संग्रह=संसार की धूप / प्रफुल्ल कुमार परवेज़
}}
[[Category:कविता]]
<poem>
इस आयोजन में सबसे अधिक
देखने की मुद्रा में हैं अंधे
सुनने की मुद्रा में बहरे
सम्मानित हो रहे हैं तटस्थ
दोग़लों की पीठ
थपथपाई जा रही है
गूँगों के लिए माईक की
समुचित व्यस्था है
आयोजक रह-रह कर
तालियाँ बजा रहे हैं
</poem>