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15:32, 8 फ़रवरी 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रफुल्ल कुमार परवेज़
|संग्रह=संसार की धूप / प्रफुल्ल कुमार परवेज़
}}
[[Category:कविता]]
<poem>
देखिए ग़लत मत आँकिये मुझे
वास्तव में मैं चालाक हूँ
लोगों के कहे पर मत जाइये
मेरी चालाकी पर भरोसा रखिए
देखिये यक़ीन मानिये
मैं वाक़ई
बहुत चालाक हूँ
धूर्त कहिए तो बेहतर
आख़िर आप मानते क्यों नहीं
जीना तो
मुझे भी है यहाँ
</poem>