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00:51, 11 फ़रवरी 2009 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=सौदा
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[[category: ग़ज़ल]]
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कहे है तौबा पे ज़ाहिद कि तुझको दीं1 तो नहीं
भिड़ा दे ख़ुम ही मेरे मुँह से चल नहीं तो नहीं
दिला2, मैं पीते ही पीते पियूँगा इश्क़ की मै
ये जामे-ज़हर3 है प्यारे, कुछ अंगबीं4 तो नहीं
ये ख़ू5 है, दोस्ती-ए-ग़ैर, दुश्मनी मेरी
किसी से कुछ उसे मंज़ूर मेहरो-कीं6 तो नहीं!
जो कोई दे तुझे दामन पसारकर दुश्नाम7
तिरे भी हाथ है कुछ, सिर्फ़ आस्तीं तो नहीं
दिला, ख़मोशी की मेरी तू देखियो तासीर
मुअस्सर8 उसको तिरा नाल-ए-हज़ीं9 तो नहीं
निगारख़ान-ए-गरदूँ10 की सैर की 'सौदा'
वलंगो-आज़11 है घर अपने, दिलनशीं तो नहीं
'''शब्दार्थ:
1. दीन 2. ऐ दिल 3. ज़हर का जाम 4. मीठा पेय, शहद 5. आदत 6. मेहरबानी और कीना 7. गाली 8. प्रभावशाली 9. दुख भरा क्रंदन 10. आकाश रूपी रंगमहल 11. दो शहर( के नाम)
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