Changes

एक रोज़-3 / लीलाधर मंडलोई

578 bytes added, 19:00, 14 फ़रवरी 2009
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लीलाधर मंडलोई |संग्रह=रात-बिरात / लीलाधर मंडलोई ...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=रात-बिरात / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
एक रोज़ मैंने देखा तापहीन सूर्य
और एक अनोखा दृश्य
यह दोपहर का समय था
नीलकंठ की चोंच में आग का बिम्ब
उसकी उड़ान ठीक सूरज की सीध में थी


रचनाकाल : जुलाई 1991
</poem>