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19:07, 15 फ़रवरी 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अमिता प्रजापति
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}}
[[Category:कविताएँ]]
<Poem>
ज़िन्दगी की कमीज़ के
दोनों सिरों पर लगे
काज और बटन की तरह हैं हम
वक़्त को
जब झुरझुरी आती है
इस कमीज़ को ढूंढ़ कर
पहन लेता है
</poem>