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सुबह की तरह / सौरीन्द्र बारिक
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|रचनाकार=सौरीन्द्र बारिक
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सुबह की तरह
एक जानी-पहचानी नवीनता में
देह में शीतल उष्णता भर कर
तुमने मुझे उन्मत्त किया था।
'''मूल उड़िया से अनुवाद : वनमाली दास
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अनिल जनविजय
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