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आजुर्दगी ..... / हरकीरत हकीर

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<Poem>
'''बसंत भी है .....चांदनी भी ....कोयल की कूक भी .....नही है .....तो वो नज़र ...।! पेश है ये नज़म ....'''
 
 
सामने खुला आसमां औ'
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