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हर बे-ज़बाँ को शोला नवा कह लिया करो / क़तील
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11:03, 1 मार्च 2009
<poem>
हर बेज़ुबाँ को शोला-नवा<ref>जिसकी आवाज़ में आग हो</ref> कह लिया करो
यारो,सुकूत <ref>मौन</ref>ही को सदा<ref>आवाज़</ref>कह लिया करो
ख़ुद को फ़रेब दो कि न हो तल्ख़ ज़िन्दगी
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