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01:16, 22 मई 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=आलोक श्रीवास्तव-२
}}
<poem>
शायद किसी दिन
मैं फिर आऊंगा
शायद किसी दिन
तुम यों ही कहीं मिल जाओगी
बहुत बदल गये चेहरे भी एक दूसरे के
हम पहचान लेंगे
शायद शिनाख़्त न कर पायें
आपसी दुखों की
पर अब से थोड़ा समझदार होंगे
और दे सकेंगे दूसरे को
प्रेम और भरोसा ।
</poem>