शायद किसी दिन
मैं फिर आऊंगा
शायद किसी दिन
तुम यों ही कहीं मिल जाओगी
बहुत बदल गये चेहरे भी एक दूसरे के
हम पहचान लेंगे
शायद शिनाख़्त न कर पायें
आपसी दुखों की
पर अब से थोड़ा समझदार होंगे
और दे सकेंगे दूसरे को
प्रेम और भरोसा ।
शायद किसी दिन
मैं फिर आऊंगा
शायद किसी दिन
तुम यों ही कहीं मिल जाओगी
बहुत बदल गये चेहरे भी एक दूसरे के
हम पहचान लेंगे
शायद शिनाख़्त न कर पायें
आपसी दुखों की
पर अब से थोड़ा समझदार होंगे
और दे सकेंगे दूसरे को
प्रेम और भरोसा ।