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ये नन्दगाँव ते आये इहां उत आई सुता वह कौनहू ग्वाल की / पद्माकर
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05:20, 3 जून 2009
डीठि सी डीठि लगी उनको इनके लगी मूठि सी मूठि गुलाल की ।
'''पद्माकर का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल
मलहोत्रा
महरोत्रा
के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।
</Poem>
अनिल जनविजय
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