गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
बीच के लोग / शील
No change in size
,
08:51, 30 जून 2009
खाते-पीते, दहशत जीते
घुटते-पिटते बीच के लोग।
वर्ग-
हर्म
धर्म
पटकनी लगाता,
माहुर माते बीच के लोग।
घर में घर की तंगी-मंगी,
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,708
edits