भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बीच के लोग / शील

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खाते-पीते, दहशत जीते
घुटते-पिटते बीच के लोग।
वर्ग-धर्म पटकनी लगाता,
माहुर माते बीच के लोग।

घर में घर की तंगी-मंगी,
भ्रम में भटके बीच के लोग।
लोभ-लाभ की माया लादे,
झटके खाते बीच के लोग।

घना समस्याओं का जंगल,
कीर्तन गाते बीच के लोग।
नीचे श्रमिक, विलासी ऊपर,
बीच में लटके बीच के लोग।