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कुछ फुटकर शेर / फ़ानी बदायूनी
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13:17, 7 जुलाई 2009
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=फ़ानी बदायूनी
|संग्रह=
}}
रफ़्तए-नज़र<ref>उपेक्षित दृष्टि</ref> हो जा, सबसे बेख़बर हो जा।
खुल गया है राज़ अपना खुल न जाये राज़ उनका॥
Pratishtha
KKSahayogi,
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