गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
फिर कर लेने दो प्यार प्रिये / दुष्यंत कुमार
7 bytes added
,
04:26, 30 जुलाई 2009
अब अंतर में अवसाद नहीं
चापल्य नहीं उन्माद नहीं
सूना-सूना
स
सा
जीवन है
कुछ शोक नहीं आल्हाद नहीं
खो बैठा अपने हाथों ही
मैं अपना कोष
अपर
अपार
प्रिये
फिर कर लेने दो प्यार प्रिये ..
</poem>
Amitsahuccci
31
edits