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रसोई घर में औरतें / सुदर्शन वशिष्ठ
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20:08, 23 अगस्त 2009
या बहुत हुआ तो आँगन
ही है उसका संसार।
माँ करती है बेटे का इंतज़ार
उन्हें नहीं जाना बाहर
उन्हें सिर्फ माँ बनना है
बहन बनना है
बहु बनना है
उन्होंने इंतज़ार में छलछलानी हैं आँखें
पथरानी हैं
प्रकाश बादल
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