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होकर अयाँ वो ख़ुद को छुपाये हुए-से हैं
अहले-नज़र ये चोट भी खाये हुए-से हैं
वो तूर हो कि हश्रे-दिल अफ़्सुर्दगाने-इश्क<supref>1प्रेम में दुखी लोग</supref>
हर अंजुमन में आग
लगाये-हुए-से हैं
आये-हुए-से हैं
ये क़ुर्बो-बोद<supref>2सा‍मीप्य एवं दूरी</supref> भी हैं सरासर फ़रेबे-हुस्ने
वो आके भी '''फ़िराक़''' न आए-हुए-से हैं
 
 
1- प्रेम में दुखी लोग, 2- सा‍मीप्य एवं दूरी
 
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