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सपनों की रज आँज गया / महादेवी वर्मा
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|संग्रह=सांध्यगीत / महादेवी वर्मा
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सपनों की रज आँज गया नयनों में प्रिय का हास!<br>
अपरिचित का पहचाना हास!<br><br>
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