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रात आधी हो गई है / हरिवंशराय बच्चन
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19:39, 4 अक्टूबर 2009
सुन रहा हूँ, शांति इतनी,
है टपकती बूंद जितनी,
ओस
कि
की,
जिनसे द्रुमों का गात रात भिगो गई है?
रात आधी हो गई है!
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