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{{KKRachna
|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री
|संग्रह=मेरा सफ़र / अली सरदार जाफ़री
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<poem>
'''समन्दर की बेटी'''
 
''"हमें हुस्न का मे’यार बदलना है।"
-प्रेमचन्द''
 
 
जब वह बोझ उठाती है
और टोकरी सर पर रखती है
मैंने अजन्ता की आँखों में
उसको फ़ुरोज़ाँ देखा है
 
 
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</poem>
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