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नसीम तेरी क़बा / अली सरदार जाफ़री
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08:19, 6 नवम्बर 2009
तेरे बदन का चमन ऐसे जगमगाता है
कि जैसे सैले-सहत, जैसे नूर का दामन
सितारे डूबते
हैं चाँद झिलमिलाता है
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poem>
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द्विजेन्द्र द्विज
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