तब
किन्ही किन्हीं अनाम सड़कों को मथता
भागता,आता है एक किशोर
फिर भी
रेल का वह अंतिम डिब्बा
जिसके दरवाज़े का
काला खालीपनख़ालीपनअम्बर--की--आंख---सा--झाकता झाँकता है
हे राजा !
इस किशोर के साथ
अक्सर अंधेरे अँधेरे सपनों में
यही सब घटता है
जागता है तो देखता है
ख़ूबसूरत सपने
सोता है तो देखता है
बदसूरत सच्चाईयां सच्चाईयाँ
----एक सपने पर आधारित
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