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सपने सच्चाईयां / अवतार एनगिल
Kavita Kosh से
सुनो राजा विक्रमार्क !
रात के सन्नाटे में
ख़ामोशियों का शोर जब शुरू होता है
दनदनाती आती है एक गाड़ी
तब
किन्हीं अनाम सड़कों को मथता
भागता,आता है एक किशोर
फिर भी
उसकी गुलाबी हथेलियों से
खिसक जाता है
रेल का वह अंतिम डिब्बा
जिसके दरवाज़े का
काला ख़ालीपन
अम्बर--की--आंख---सा--झाँकता है
हे राजा !
इस किशोर के साथ
अक्सर अँधेरे सपनों में
यही सब घटता है
जागता है तो देखता है
ख़ूबसूरत सपने
सोता है तो देखता है
बदसूरत सच्चाईयाँ
एक सपने पर आधारित