गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
रहते न तुम अलग-थलग हम न गुज़रते आप से / आरज़ू लखनवी
14 bytes added
,
18:55, 9 नवम्बर 2009
|रचनाकार=आरज़ू लखनवी
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
रहते न तुम अलग-थलग हम न गुज़रते आप से।
चुपके से कहनेवाली बात कहनी पड़ी पुकार के॥
पूछी थी छेड़कर जो बात, कहने न दी वो बात भी।
तुमने खटकती फ़ाँस को छोड़ दिया उभार के॥
</poem>
Dkspoet
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits